दोस्त कहतें हैं की तुम्हारी दोस्ती में अब वो बात नहीं रही "वैभव",
बस चंद महीनों की औपचारिकता बाकी है|
तुम अकेले ही आये थे नवाबों की नगरी में,
जाओगे अकेले ही इस ख्वाबों की नगरी से|
तुम थे ही हमारे लिए बस एक अजनबी,
जैसे आये थे वैसे ही तो जाओगे|
बस चंद महीनों की औपचारिकता बाकी है|
तुम अकेले ही आये थे नवाबों की नगरी में,
जाओगे अकेले ही इस ख्वाबों की नगरी से|
तुम थे ही हमारे लिए बस एक अजनबी,
जैसे आये थे वैसे ही तो जाओगे|
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