आखिर कब तक रावण को हम मारते रहेंगे? हम हमेशा सोचते हैं
कि आखिर रावण को हर वर्ष क्यूं मारना होता है?
वो पूर्णतया मरता क्यूं नहीं? आखिर क्यों वो प्रत्येक वर्ष उठ
खड़ा होता है?
मित्रों दरअसल हम हम एक मरे हुए को प्रतिवर्ष मारते हैं। जो मर चुका है
उसे हर बार मारने से क्या होगा? दरअसल हम प्रत्येक वर्ष रावण का वध
नहीं करते अपितु अपने भ्रम का वध करते हैं और इस भ्रम का वध कर हम खुश
हो जाते हैं।
मूल तथ्य यह नहीं है कि हम रावण को कब तक मारते रहेंगे मूल तथ्य यह है
कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हर वर्ष हम एक मरे हुए को मार कर खुश
हो जाते हैं और रावण का ओट लेके वास्तव में विद्यमान
राक्षसी ताकतें बची रह जातीं हैं और वो दिन ब दिन विकराल रूप
लेती जा रहीं और हम हैं कि उनकी तरफ ध्यान ना दे के
अपना सारा ध्यान रावण पे लगाए हुए है।
सदियों से हम रावण को मारते आ रहे और खुशी मनाते आ रहे परन्तु हम ये
भूल जाते हैं कि दशानन का वध तो भगवान राम ने स्वयं किया था,
और जिसका वध विष्णुरूपी राम ने किया हो उसका जीवित
बचना सम्भव है क्या? अगर उत्तर हां मे है तो रामायण का वह श्लोक
गलत है जिसमें कहा गया है कि पाप का नाश करने के लिए विष्णु ने
राम रूप मे अवतार लिया था क्योंकि अगर राम पूर्णरूपेण रावणवध वध
नहीं कर सके थे तो उनका अवतार लेना व्यर्थ गया। और अगर उत्तर
हां है कि राम ने रावण का वध कर दिया था और वह परमधाम
को प्राप्त हो चुका है तो हम प्रतिवर्ष उसे क्यों मारते हैं? क्यों हम
अपने आप को दिलाशा देते हैं कि रावण को मार दिया गया है?
क्या हमें कौशल्यानन्दन राम पर भरोशा नहीं? क्या हमें उनके पराक्रम
पर शक है?
मित्रों दरअसल हम भगवान राम के संदेश को समझ ही नहीं पाए।
उन्होने हमें संदेश दिया कि मैं रावणरूपी असुर का तथा अन्य
आसुरी ताकतों का विनाश कर रहा हूं और आप लोगो पर ये
जिम्मेदारी छोड़ के जा रहा हूं कि आप लोग अब फिर से
पापियों को पनपने मत दीजिएगा उनका संहार करते रहिएगा। परन्तु
हम लोग उनके संदेश को या तो समझने में नाकाम रहे या जानबूझ के
नासमझ बने रहे तथा प्रत्येक वर्ष एक मरे हुए को मारकर खुशी मनाते रहे
तथा हम इतने नासमझ बने रहे कि कभी सर उठा के ये देखने की कोशिश
भी नहीं की कि कहीं कोई और दैत्य तो नहीं उठ खड़ा हुआ है?
हमारी इसी कमजोरी का फायदा उठाकर आज कई ढेर सारे असुर उठ
खड़ हुए हैं जो रावण से भी अधिक खतरनाक हैं परन्तु हमने
कभी उनका संहार करने की कोशिश नहीं की क्यूंकि हमारा ध्यान
उनपे कभी गया ही नहीं तथा उन्होने दबे पांव ढेर
सारी बुराइयों को हमारे समाज में प्रवेश करा दिया ताकि वो हमें
हरा सकें क्यूकि उन्हे पता है कि समाज के रास्ते आक्रमण करने से
उनकी जीत पक्की है।
अतः मित्रों उठो! जागो! और मृतक रावण के बजाए आज समाज में
व्याप्त इन बुराइयों रूपी असुरों का संहार करो, क्यूंकि अगर इन्हे जल्द
से जल्द ना हराया तो हमारी हार पक्की है तथा पतन भी पक्का है।
No comments:
Post a Comment