Sunday, July 14, 2013

समाजवादी पार्टी : लोहियावादी या मौकापरस्त

आज अखबार में एक न्यूज़ छपी है की कुशवाहा परिवार समाजवादी पार्टी में शामिल | शामिल कराना था मुलायम सिंह यादव को पर वो किन्ही कारणों से नहीं आये तो ये काम कराया राजेंद्र चौधरी ने और बाद में मुलायम और अखिलेश ने सभी का आभार प्रकट किया और कुशवाहा परिवार का सपा कुनबे में स्वागत किया |

इस न्यूज़ को पढने के बाद विश्वास हो गया की सपा कोई सैद्धांतिक पार्टी नहीं है ये एक मौकापरस्त दल है जो अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, इनका कोई सिद्धांत नहीं है इनका कोई आदर्श नहीं है, ये लोहिया जी और लोकनायक जी का नाम स्वयं से जोड़ के उन महापुरुषों का अपमान कर रहे है|

बताते चलें की ये उसी कुशवाहा का परिवार है जो NRHM घोटाले का मुख्य आरोपी है और ये अभी जेल में बंद है और इसके विरुद्ध सतर्कता अधिष्ठान मुक़दमा चलाने की तैयारी कर रहा था |

लेकिन अब तो इस बात की पूरी उम्मीद है की उसे बचा लिया जायेगा |

सपा सरकार बने लगभग डेढ़ साल हो चुके हैं परन्तु इन वर्षों में सपा ने ऐसे कई कार्य किये हैं की लगने लगा है की सपा के वे सभी वादे जो उन्होंने चुनाव से पहले किये थे वे सभी झूठे हैं|

सपा ने चुनावों में निम्न प्रमुख वादे किये थे-

१). किसी दागी को सपा में पनाह नही मिलेगी|

२). कानून-व्यवस्था के मुद्दे पे कोई समझौता नहीं होगा|

३). माया सरकार के भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे भेजा जायेगा|

४). बेईमान अफसरों को दण्डित किया जायेगा|

५). ईमानदारी से काम करने वाले अफसरों को प्रोत्साहित किया जायेगा|
आदि आदि ...

लेकिन इन वर्षों में इन सभी वादों को केवल वादा बना के रखा गया है इन पर कोई अमल नही हुआ और अब तो ऐसा लगने लगा है की सपा सरकर इन वादों पे अमल तो नहीं करना चाहती अपित उसे तोड़ना जरूर चाहती है|

चुनाव से पूर्व अखिलेश यादव ने डी.पी. यादव को पार्टी में नहीं लिया यह कहते हुए की वो बाहुबली हैं और बाहुबलियों की सपा में कोई जगह नहीं है परन्तु सरकार बनते ही वो इन सब बातों को भूल गये और उन्होंने अन्ना शुक्ला जैसे गुंडों को न केवल पार्टी में लिया अपितु लोकसभा का टिकेट भी दिया |

बेईमान आई.ए.एस. प्रदीप शुक्ल को जमानत से छूटते ही तुरंत पोस्टिंग दी और जब जग हसाई हुई तो पद वापस लिया गया, माया सरकार के कई भ्रष्ट अधिकारीयों को उच्च पैड्स दिए गए|
ईमानदार अधिकारीयों का बार बार तबादला किया गया |

और अब कुशवाहा परिवार को सपा में शामिल करने से उनके भ्रष्टचारियों को जेल भेजने के वादे पे भी प्रश्नचिन्ह लग गया है|

इन सभी फैसलों से जनता के मन में निम्न प्रश्न उठाने लगे हैं-

१). कि क्या अखिलेश यादव का चुनाव पूर्व डी.पी.यादव पर अख्तियार किया गया रुख केवल चुनावी सोबाजी थी?

२). कि क्या अखिलेश यादव की राय में एक बाहुबली अपराधी है और एक भ्रष्टाचारी अपराधी नहीं है?

३). कि क्या अखिलेश यादव की राय में आर्थिक अपराध कोई अपराध नहीं है?

४). कि क्या मुलायम सिंह यादव की राजनीति का स्तर इतना गिर गया है की वो अपनी पार्टी के फायदे के लिए देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुचने वाले भ्रष्टाचारियों को बचाएंगे |

५). कि क्या समाजवादी पार्टी एक मौकापरस्त पार्टी है?

६). कि क्या सपा का कोई राजनीतिक सिद्धांत और आदर्श नहीं है?

७). कि क्या सपा माया सरकार के घोटालेबाजों को सजा दिलाने के लिए वास्तव में गंभीर है?

८). कि क्या जनता अखिलेश यादव पे भरोसा करके गलती कर बैठी है?

९). कि क्या मुलायम सिंह यादव को लोकसभा चुनाव में भी ऐसी सफलता मिलेगी?

१०). कि क्या सपा और बसपा का राजनीतिक चरित्र एक दुसरे से जुदा नहीं है?
 

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